नमस्कार दोस्तों ! आप सभी का allhindiway की एक और नई पोस्ट में स्वागत है । दोस्तों आप सब यह जानते है की दिवाली का त्यौहार हर किसी के लिए खुशियां लेकर आता है, फिर चाहे वो बड़ा हो या बच्चा। हर कोई इस त्यौहार को बड़ी ही धूम धाम से मनाता है।
साथ ही स्कूलों, कॉलेजों, दफ्तरों आदि में भी दीवाली का त्यौहार बहुत ही ख़ुशी के साथ मनाया है। तो इसी के साथ आज हम बात करने वाले है दिवाली पर निबंध , की दिवाली क्यों मनाई जाती है ? और दिवाली कैसे मनाते है ? तो चलिए बिना देरी किये जानते है आखिर कार दिवाली के बारे में सब कुछ जानते है।
दिवाली क्या है ? दिवाली की परिभाषा ?
दोस्तों हम यह तो जानेंगे ही जानेंगे की दिवलो क्यों मनाई जाती है ? उससे पहले आप थोड़ा यह जान ले की आखिर कर दिवाली क्या है ? और दिवाली की परिभाषा क्या है ? दीवाली जिसको हमारे भारतवर्ष में रोशनी का त्योहार कहा जाता है ! जो की मुख्यतौर पर हिन्दुओं का पर्व है। दीवाली को दिवाली तथा दीपावली भी कहा जाता हैं ।
आमतौर पर यह पर्व पांच दिनों तक चलता है और यह त्योहार हर साल October या November के दौरान ही मनाया जाता है। दीपावली हिंदू धर्म के सबसे लोकप्रिय त्योहारों में से एक हैं। दिवाली का अर्थ आध्यात्मिक रूप से “अंधेरे पर प्रकाश की जीत, तथा बुराई पर अच्छाई, और अज्ञान पर ज्ञान” का प्रतीक है।
यह त्योहार व्यापक रूप से लक्ष्मी, समृद्धि की देवी के साथ जुड़ा हुआ है। लेकिन क्षेत्रीय परम्परा के अनुसार इसे सीता और राम, विष्णु, कृष्ण, यम, यमी, दुर्गा, काली, धन्वंतरी, या विश्वकर्मन से जोड़ा गया है ।
हमारे भारतवर्ष में यह पांच दिवसीय प्रकाशोत्सव के रूप में जाना जाता है जो कि बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्न मनाता है।दीवाली शब्द का शाब्दिक अर्थ है ‘रोशनी की पंक्ति’ और संस्कृत के शब्द ‘दीपा’ और पंक्ति ‘वली’ के लिए उत्पन्न, इस त्योहार को दीपावली कहा जाता है दिवाली क्या है ? आप जान ही गए होंगे अब बात करते है दिवाली क्यों मनाई जाती है ?
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दीवाली क्यों मनाई जाती हैं ?
दोस्तों दिवाली तो हम कई सालों से मना रहे हैं और हम इतने वर्षों में ये ही जान पाएं हैं कि श्रीराम की अयोध्या में वापसी के जश्न के कारण दिवाली मनाई जाती है ।
लेकिन ऐसा नहीं हैं।इसलिए आज कि इस पोस्ट में हम जानेंगे की किस तरह देश के अलग अलग कोनों में दिवाली मनाए जाने की अलग अलग वजहें मानी जाती हैं । जिसको जानने के लिए आप इस लेख के साथ जुड़े रहिये।
इन सभी अलग अलग Believes के साथ अलग अलग कहानियां भी जुड़ी हुई हैं । हमारी Generation इन दिनों दिवाली और भाईदूज जैसे फेस्टिवल्स मनाती तो है पर इनसे जुड़ी हुई कहानियां कहीं खो सी गई हैं ।
साउथ इंडिया की कई जगहों पर दिवाली को नरकासुर का वध के कारण मनाया जाता है । नरकासुर एक राक्षस हुआ करता था जिसने इन्द्र की मां के ताज को चुरा लिया था । इन्द्र परेशान होकर श्री कृष्ण के पास जाते हैं और उनसे रिक्वेस्ट करते हैं कि वह उन्हें इस दुविधा से निकाले ।
इसके बाद ही कृष्ण ने सत्यभामा के साथ मिलकर स्वर्ग में जाते हैं और नरकासुर का वध करने के लिए तैयार रहते हैं पर तभी उन्हें पता चलता है कि नरकासुर को वरदान मिला हुआ है कि उनको सिर्फ उनकी मां के द्वारा ही मारा जा सकता है।
और ऐसे में श्रीकृष्ण को पता चलता है कि ऐसा माना जाता है कि सत्यभामा कोई और नहीं बल्कि नरकासुर की मां ही भी और फिर नरकासुर सत्यभामा के हाथों मारा जाता है ।और फिर श्रीकृष्ण ने खोया हुआ ताज वापस इंद्र की मां को सौप दी । इसी तरह बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में महान दिवाली मनाई जाती है ।
देश के बहुत बड़े हिस्से में दिवाली को मनाने की वज़ह श्रीराम की अयोध्या में वापसी है । 14 वर्षों तक वनवास और रावण का वध करने के बाद श्रीराम सीता और लक्ष्मण के साथ अयोध्या लौटते हैं । तब उनके लौटने की खुशी में अयोध्या को दीप से सजाया जाता है। इसी दिन से देश भर में दीये लगाकर दिवाली मनाए जाने की प्रथा शुरू हो गई ।
महाभारत के अनुसार जब पांडव भाई 12 वर्ष के बाद वापस हस्तिनापुर लौटे थे तो वो दिन दिवाली का ही था । उस दिन हस्तिनापुर के वासियों ने उनके लौटने की खुशी में पूरे नगर में सजावट करी थी और दीये लगाकर पूरे शहर को उज्ज्वल करा था ।
ऐसा कहा जाता है कि एक राजा था जिसका एक बेटा था जिसके लिए ये कहा गया था कि वे अपनी शादी के एक दिन बाद मारा जाएगा । राजा आखिर में अपने बेटे की शादी करा लेता है और फिर उसकी पत्नी को भी इस के बारे में पता लग जाता है जिस वजह से उनकी पत्नि ने अपने पति की जान बचाने के लिए सोच विचार करने लगती है ।
रात को जब यमराज उनके पति को लेने के लिए आते हैं तो वे पूरे घर को लाइट और दियों से सजा देती हैं और अपने घर का सारा सोना घर के बाहर रख देती हैं । यमराज उनके पति को लेने के लिए सांप के रूप में आती हैं तो सोने और लाइट की चमक के कारण उन्हें दिखना बंद हो जाता है.
और वह उसके पति को लिए बिना ही लौट जाती हैं । इसी प्रकार वे अपने पति की जान बचाने में सक्षम रहती हैं ।और राजा के बेटे की पत्नी ने नगर के बाहर भी यमराज को रोकने के लिए एक दीया जला देती है ।
यमी और यामा जुड़वा भाई बहन थे जो एक दूसरे के बेहद क्लोज थे । ऐसा कहा जाता है कि अदिति जो यमी और यामी की मां थी उन्हें सूर्य की गर्मी नहीं लगती थी और इसी कारण वें खुद से छाया का निर्माण करती थी.
इस बारे में सूर्यदेव को नहीं पता था एक दिन मतभेद के कारण छाया शाप दे देती है और यामा की मृत्यु हो जाती है यामां धरती पर ऐसे पहले व्यक्ति थे जिनकी मृत्यु हुई थी और मृत्यु के बाद वो भगवान में बदल गए थे ।
इसके बाद से यहां हर साल एक बार वापस आती हैं अपनी बहन यामी से मिलने और इसी प्रथा के कारण भाईदुज का फेस्टिवल मनाया जाता है।
दिवाली का दिन सिख कम्युनिटी के लिए भी बहुत स्पेशल होता है । इसी दिन तीसरे सिख गुरु अमरदास ने ये तय किया था कि दिवाली के दिन सभी सिख अपने गुरु की ब्लेसिंग लेने आ सकेंगे और वर्ष 16 सौ उन्नीस में दिवाली के दिन ही गुरु हरगोबिंद जी को जेल से रिहाई मिली थी जिसके कारण से कम्युनिटी में जश्न मनाया गया था ।
इसके अलावा 1570 में दिवाली के दिन ही गोल्डन टेम्पल की नीब रखी गई थी ।
दिवाली को मनाए जाने की एक वजह ये भी है कि इसे हिंदू धर्म के अनुसार न्यू इयर की शुरुआत के रूप में जाना जाता है । इस दिन सभी बिजनेसमैन अपने सभी कर्जो और डिप्स को चुका कर एक नयी शुरुआत कर दी है । अंत में ये कहा जा सकता है.
कि दिवाली देश के सबसे बड़े त्योहारों में से एक है और देश के अलग अलग कोनों में इसे मनाए जाने की अलग अलग परंपराए हैं । उम्मीद करता हु आप अच्छे से और सरल भाषा में समझ गए होंगे की दिवाली क्यों मनाई जाती है ? ओर अब हम आगे बात करंगे की भारत में दीवली कैसे मनाई जाती है ?
भारतवर्ष में दीवाली कैसे मनाई जाती हैं ।
दिवाली सबसे रोमांचक और अनूठा त्योहार है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार दिवाली उन कुछ अवसरों में से एक है जब सभी परिवार के सदस्य त्योहार मनाने के उद्देश्य से एक साथ आते हैं।
दीपों के त्योहार का शाब्दिक रूप से दीपों की एक पंक्ति के रूप में अनुवाद किया जाता है । प्रकाश का त्योहार कई रोमांचक गतिविधियों का हिस्सा है ! त्योहार जो वास्तव में बच्चों और वयस्क को समान रूप से उत्साहित करते हैं ।
दिवाली हिंदू परिवारों के लिए सबसे भारी बजट का त्योहार है दीवाली के आने से पहले घर के सभी सदस्यों के लिए नए कपड़े खरीदे जाते हैं। तथा पूरे घर को अच्छी तरह से साफ किया जाता है ।
और सभी अपने घरों को नई नई रंगो से रंगते है। और खास तौर पर उस दिन घर में तरह तरह की पकवान भी बनती है। दीवाली के दिन सभी अपने दोस्तों के साथ मिलकर पटाखे फोड़ते है।
दीवाली के त्योहार की शुरुआत से पहले अच्छी तरह से पटाखे बिकने लगती हैं हर गाँव और कस्बे में पटाखा दुकानों की लंबी लाइन खुल जाती है। उनमें से अधिकांश छूट बिक्री नवीन की घोषणा करते हुए आकर्षक विज्ञापनों को तैरते हैं पटाखे बाजार में कई तरह के अभिनव पटाखे डाल रहे हैं बजट के आधार पर परिवार पटाखे की खरीद करते हैं।आयु वर्ग और परिवार के सदस्यों के स्वाद पर निर्भर करता है।
गंगा की दीपावली की सुबह बहुत उत्साह के साथ प्रतीक्षा की जाती है सुबह जल्दी उठकर परिवार के सदस्य जागते हैं और गंगा का पवित्र स्नान करते हैं माँ गंगा द्वारा पवित्र किया गया शायद यह सबसे महत्वपूर्ण अनुष्ठान है.
त्योहार के साथ जरूरी है कि यह एक तेल स्नान है जिसमें अक्सर गंगा जल बेचा जाता है देवी लक्ष्मी के घावों पर स्नान के लिए उपयोग किए जाने वाले पानी के साथ पैकेट मिलाया जाता है।
पवित्र स्नान के बाद देवी को शानदार सजावट के साथ तैयार किया जाता है दीपक और त्यौहारों की फूलों की रेखा से सुशोभित अक्सर मुख्य देवता होते हैं देवी लक्ष्मी पूजा के दौरान धन स्वास्थ्य सुख और समृद्धि के दाता हैं नए कपड़े मिठाई और पटाखे के लिए देवी के सामने पंक्तिबद्ध हैं। पूजा के बाद बच्चे और युवा सभी मिठाइयों का आनंद लेते हैं।
सभी बच्चे खरीदे गए पटाखे को फोड़ने लगते है। और ढ़ेर सारा मस्ती करते है। तथा इस दिन सभी बच्चों अपने अपने दादा दादी और अन्य सभी से आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। और सभी सदस्य एक दूसरे को कुछ ना कुछ उपहार जरूर देते है । और इसी तरह सभी के दीवाली त्योहार अच्छे से संपन्न होती है।
दीपावली के पांच दिनों में क्या-क्या होता है ?
दोस्तों हम जानते है की हिन्दुओं के प्रमुख त्योहार दिवाली का उत्सव 5 दिनों तक चलता है। इसमें पहले धनतेरस , दूसरा काली चौदस , तीसरे दिन दिवाली , चौथा दिन गोवर्धन , और पाचंवा दिन भाई दूज , अब इसके बारी में भी आपको डिटेल्स से बताएँगे।
1 . धनतेरस – कार्तिक मास की कृष्ण त्रयोदशी को धनतेर कहां जाता हैं। धनतेरस के दिन मृत्यु के देवता यमराज, धन के देवता कुबेर और आयुर्वेदाचार्य धन्वंतरि की पूजा का महत्व माना जाता है है।
इसी दिन समुद्र मंथन में भगवान धन्वंतरि अमृत कलश के साथ प्रकट हुए थे और उनके साथ आभूषण व बहुमूल्य रत्न भी समुद्र मंथन भी मिले थे । तभी इस त्योहार का नाम धनतेरस पड़ा और जबी से ही इस दिन सोने ,चांदी और धातु के कुछ ने कुछ सामान लिए जाते हैं ?
2 . नरक चतुर्दशी – दूसरे दिन को नरक चतुर्दशी, रूप चौदस और काली चौदस कहते हैं। इस दिन भगवान कृष्ण, यमराज और बजरंगबली की पूजा करने का विधान है। मानते है कि इस दिन पूजा करने से मनुष्य नरक में मिलने वाली यातनाओं और समस्याओं से बच जाता है साथ ही अकाल मृत्यु से रक्षा होती है। इसलिए दूसरे दिन को नरक चतुर्दशी मनाया जाता है।
3 . दीपावली – तीसरे दिन को ‘दिवाली ‘ कहते हैं। यह मुख्य पर्व होता है। दिवाली वाले दिन माँ लक्ष्मी जी की पूजा वाला दिन होता है। कार्तिक माह की अमावस्या को ही समुद्र मंथन से मां लक्ष्मी प्रकट हुई थीं जिससे इस दिन मां लक्ष्मी के स्वागत के लिए दीप जलाए जाते हैं ताकि अमावस्या की रात्रि में अंधकार में दीपको से वातावरण शुद्ध हो जाये। और विस्तार से पहले आप ने पढ़ ही लिया होगा की दिवाली क्यों मनाई जाती है ?
4 . गोवर्धन – चौथे दिन को अन्नकूट या गोवर्धन पूजा होती है। वहीं एक अन्य धार्मिक मान्यता के अनुसार, आज के दिन अन्नकूट इसलिए मनाया जाता है क्योंकि इंद्र के कोप से गोकुलवासियों को बचाने के लिए जब कान्हा ने गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उंगली पर उठाया तब गोकुल वासियों ने 56 भोग बनाकर श्रीकृष्ण को भोग लगाया था। इसलिए गोवर्धन की पूजा की जाती है।
5 . भाई दूज – भाई दूज, पांचवे दिन दीपावली महापर्व का अंतिम दिन होता है। भाई दूज भाई बहन के रिश्ते को मजबूती देने का पर्व है. ोे यह भी माना जाता है कि जो यम देव की उपासना करता है, उसे अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता है. हिंदुओं के बाकी त्योहारों की तरह यह त्योहार भी परंपराओं से जुड़ा हुआ है

किस राज्य में कैसे कैसे मनाई जाती है दिवाली ?
अब देखा जाये तो सभी राज्यों में 5 दिन तक चलता है दिवाली का त्योहार अब हम विस्तार से जानेंगे की कहाँ कैसे मनाई जाती है दिवाली ,
1 .पूर्वी और पूर्वोत्तर भारत में दीपावली – पूर्वी भारत में पश्चिम बंगाल, ओडिशा, बिहार एवं झारखंड बहुत से राज्य शामिल हैं। पूर्वोत्तर भारत में दिवाली का खास महत्व माना जाता है। यहां पर भी उत्तर भारत जैसी ही दिवाली मनाई जाती है बस यहां पर फर्क व्यंजन और कपड़ो का है बाकि दिए तो जलाये ही जाते है और यहां पर पारंपरिक नृत्य को भी महत्व दिया जाता है।
जिसमें रामायण की कहानी को नाटकीय रूप से दर्शाया जाता है। यह नाटक कई रातों तक चलता है 5 दिनों तक चलने वाले दिवाली के दिन यहां व्यंजन और मिठाइयां बनाई जाती हैं, साथ ही लोग नए कपडे पहनकर एक-दूसरे से मिलते, जुआ खेलते, पटाखे छोड़ते और तरह-तरह मिठाईओं का स्वाद चकते है।
अंत मेँ –
में आप सभी से उम्मीद करता हु मेरा यह लेख आपको पसंद आया हो , और आप सभी से निवेदन है की इस लेख को अपने दोस्तों रिस्तेदारो के साथ भी शेयर कीजिये ताकि उन्हें भी अच्छे से पता लग सके की दिवाली क्यों मनाई जाती है ? और दिवाली कैसे मानते है ?
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